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Indira Gandhi Biography In Hindi | इंदिरा गांधी की जीवनी

Hindinut by Hindinut
October 20, 2021
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Indira Gandhi Biography

Indira Gandhi Biography In Hindi

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इंदिरा गाँधी की जीवनी (प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, राजनीतिक सफ़र, मृत्यु) | Indira Gandhi Biography, Wiki (Initial Life, Education, Career, Death) in Hindi

इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर सन 1917 में हुआ । जो पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरू की इकलौती संतान थी । इंदिरा गांधी बचपन से ही राजनीति की बातें और वातावरण देखकर बड़ी हुई क्योंकि उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू  कांग्रेस सरकार के एक प्रमुख सदस्य थे और उनके  पितामह उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से एक धनी बैरिस्टर थे  तथा स्वतंत्र संग्राम के एक लोकप्रिय नेता रहे। महात्मा गांधी के नेतृत्व में जवाहरलाल नेहरू का प्रवेश स्वतंत्रता आंदोलन में हुआ। इसके कारण इंदिरा गांधी का संपूर्ण विकास और देखरेख मां द्वारा की गई। इसी दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय राजनीति में उलझते चले गए। सन 1936 में मां कमला नेहरू लंबे समय तक बीमार रहने के बाद अंततः  स्वर्गवासी हो गई।

Contents hide
1 Indira Gandhi Biography In Hindi
2 इंदिरा गाँधी का परिवार (Indira Gandhi Family)
2.1 इंदिरा गाँधी की शिक्षा (Indira Gandhi Education)
2.2 इंदिरा गाँधी का वैवाहिक जीवन
3 इंदिरा गांधी का राजनीतिक करियर (Political Career)
4 कांग्रेस प्रेसिडेंट के रूप में इंदिरा (Congress President)
4.1 प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार (First Term as Prime Minister of India)
4.2 भारत-पाकिस्तान के युद्ध 1971 में इंदिरा गाँधी की भूमिका
4.3 आपातकाल लागू (Imposition of Emergency)
5 इंदिरा गाँधी हत्या (Assassination of Indira Gandhi)
6 इंदिरा गाँधी के अवार्ड्स (Indira Gandhi Biography In HindiAwards)

Indira Gandhi Biography In Hindi

नाम (Name) इंदिरा गांधी
पिता का नाम (Father name) जवाहर लाल नेहरू
माता का नाम (Mother name) कमला नेहरू
जन्म तिथि (Birth Date) 19 नवम्बर 1917
जन्म स्थान (Birth Place) इलाहाबाद (अब प्रयागराज)
कॉलेज (Education) ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और विश्व भारती यूनिवर्सिटी
पति का नाम (Husband) फिरोज गांधी
मृत्यु का तिथि  31 अक्टूबर, 1984, नई दिल्ली
मृत्यु का स्थान  नई दिल्ली

इंदिरा गांधी भारत की चौथी और प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं।  वो एक ऐसी महिला थीं जिसने न केवल भारतीय राजनीति बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी विलक्षण प्रभाव छोड़ा। इसी कारण उन्हें लौह महिला के नाम से भी संबोधित किया जाता है। वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की इकलौती संतान थीं और नेहरु के प्रधानमंत्री रहते ही उन्होंने सरकार के अन्दर अच्छी पैठ बना ली थी। एक राजनैतिक नेता के रूप में इंदिरा गांधी को बहुत निष्ठुर माना जाता है। प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने प्रशासन का जरुरत से ज्यादा केन्द्रीयकरण किया। उनके शासनकाल में ही भारत में एकमात्र आपातकाल लागू किया गया और सारे राजनैतिक प्रतिद्वंदियों को जेल में ठूस दिया गया। भारत के संविधान के मूल स्वरुप का संसोधन जितना उनके राज में हुआ, उतना और किसी ने कभी भी नहीं किया। उनके शासन के दौरान ही बांग्लादेश मुद्दे पर भारत-पाक युद्ध हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ। पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने के लिए उन्होंने अमृतसर स्थित सिखों के पवित्र स्थल ‘स्वर्ण मंदिर’ में सेना और सुरक्षा बलों के द्वारा ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को अंजाम दिया। इसके कुछ महीनों बाद ही उनके अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी। अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए इंदिरा गाँधी को भारतीय इतिहास में हमेशा जाना जायेगा।

इंदिरा गाँधी का परिवार (Indira Gandhi Family)

जन्मदिन (Birth date) 19 नवंबर 1917
जन्मस्थान (Birth place) इलाहबाद,उत्तर प्रदेश
पिता (Father) जवाहरलाल नेहरु
माता (Mother) कमला नेहरु
पति (Husband) फ़िरोज़ गांधी
पुत्र (Sons) राजीव गांधी और संजय गांधी
पुत्र वधुएँ (Son-in-law) सोनिया गांधी और मेनका गांधी
पौत्र (Grand sons) राहुल गांधी और वरुण गांधी
पौत्री (Grand daughter) प्रियंका गांधी

इंदिरा गाँधी की शिक्षा (Indira Gandhi Education) 

इंदिरा गांधी ने पुणे विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की । 1934 और 35 में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद शांतिनिकेतन में विश्व भारतीय विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, जोकि रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित था, इसके पश्चात वह इंग्लैंड चली गई रविंद्र नाथ टैगोर ने इंदिरा गांधी को “प्रियदर्शनी” नाम दिया था। इंग्लैंड जाने पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में प्रवेश लिया लेकिन वह इसमें सफल नहीं रही और ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने बिताने के बाद 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इंदिरा गांधी ने सोमरविल कॉलेज  ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया । कमला नेहरू की मृत्यु के समय जवाहरलाल नेहरू भारतीय जेल में थे इसलिए इंदिरा गांधी ने अपने बचपन में स्थिर कार्यवाही जीवन पारिवारिक जीवन का अनुभव नहीं किया। उन्होंने प्रमुख भारतीय, यूरोपीय तथा ब्रिटिश स्कूलों में अध्ययन किया।

इंदिरा गाँधी का वैवाहिक जीवन 

अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की मर्जी के खिलाफ इंदिरा गांधी ने फिरोज गांधी की शादी की।  इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की मुलाकात 1930 में आजादी की लड़ाई के दौरान मां कमला नेहरू एक कॉलेज के सामने धरना देते वक्त बेहोश हो गई थी उस समय फिरोज गांधी ने उनकी बहुत देखभाल की थी इसीलिए फिरोज गांधी अक्सर मां कमला नेहरू का हाल-चाल लेने घर आते जाते थे  इस दौरान इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ी फिरोज गांधी से इंदिरा गांधी की शादी 1942 में हुई लेकिन जवाहरलाल नेहरू इस शादी के खिलाफ थे फिरोज गांधी के संघर्ष में महात्मा गांधी उनके साथ थे,वह पारसी थे जबकि इंदिरा गांधी हिंदू। उस समय अंतरजातीय विवाह इतना आम नहीं था ऐसे में महात्मा गांधी ने इस जोड़ी को समर्थन दिया जिसमें उनका मीडिया से अनुरोध भी शामिल था “ मैं अपमानजनक पात्रों को अपने गुस्से को कम करने के लिए इस शादी में आकर नव युगल को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित करता हूं”  और कहा जाता हैं कि महात्मा गांधी ने ही राजनीतिक छवि बनाये रखने के लिए फिरोज और इंदिरा को गाँधी लगाने का सुझाव दिया था.

इंदिरा गांधी का राजनीतिक करियर (Political Career)

नेहरु परिवार वैसे भी भारत के केंद्र सरकार में मुख्य परिवार थे, इसलिए इंदिरा का राजनीति में आना ज्यादा मुश्किल और आश्चर्यजनक नहीं था. उन्होंने बचपन से ही महात्मा गांधी को अपने इलाहाबाद वाले घर में आते-जाते देखा था, इसलिए उनकी देश और यहाँ की राजनीति में रूचि थी.

1951-52 केलोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी ने अपने पति फिरोज गांधी के लिए बहुत सी चुनावी सभाएं आयोजित की और उनके समर्थन में चलने वाले चुनावी अभियान का नेतृत्व किया.  उस समय फिरोज रायबरेली से चुनाव लड़ रहे थे. जल्द ही फिरोज सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ा चेहरा बन गए. उन्होंने बहुत से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का पर्दा फाश किया,जिसमे बीमा कम्पनी और वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी का नाम शामिल था. वित्त मंत्री को तब जवाहर लाल नेहरु का करीबी माना जाता था.

इस तरह फिरोज राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की मुख्य धारा में सामने आये, और अपने थोड़े से समर्थकों के साथ उन्होंने केंद्र सरकार के साथ अपना संघर्ष ज़ारी रखा, लेकिन 8 सितम्बर 1960 को फिरोज की हृदयघात से मृत्यु हो गई.

कांग्रेस प्रेसिडेंट के रूप में इंदिरा (Congress President)

1959 में इंदिरा को इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी का प्रेसिडेंट चुना गया था. वो जवाहर लाल नेहरु की प्रमुख एडवाइजर  टीम में शामिल थी. 27 मई 1964 को जवाहर लाल नेहरु की मृत्यु के बाद इंदिरा ने चुनाव लड़ने का निश्चय किया और वो जीत भी गयी. उन्हें लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग मंत्रालय दिया गया.

प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार (First Term as Prime Minister of India)

11 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद में देहांत के बाद अंतरिम चुनावों में उन्होंने बहुमत से विजय हासिल की,और प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला. 

प्रधान मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियां प्रिंसी पर्स के उन्मूलन के लिए प्रिंसिपल राज्यों के पूर्व शासकों और चार प्रीमियम तेल कंपनियों के साथ भारत के चौदह सबसे बड़े बैंकों के 1969 राष्ट्रीयकरण के प्रस्तावों को पास करवाना था. उन्होंने देश में खाद्य सामग्री को दूर करने में रचनात्मक कदम उठाए और देश को परमाणु युग में 1974 में भारत के  पहले भूमिगत विस्फोट के साथ नेतृत्व किया.

प्रधानमंत्री पद पर

इंदिरा गाँधी 4 बार भारत की प्रधानमंत्री रहीं – लगातार तीन बार (1966-1977) और फिर चौथी बार (1980-84)।

  • सन 1966 में भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की अकस्मात् मृत्यु के बाद श्रीमती इंदिरा गाँधी भारत की प्रधानमंत्री चुनी गयीं।
  • 1967 के चुनाव में वह बहुत ही कम बहुमत से जीत पायीं और प्रधानमंत्री बनीं।
  • सन 1971 में एक बार फिर भारी बहुमत से वे प्रधामंत्री बनी और 1977 तक रहीं।
  • 1980 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनीं और 1984 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहीं।

भारत-पाकिस्तान के युद्ध 1971 में इंदिरा गाँधी की भूमिका 

1971 में इंदिरा को बहुत बडे  संकट का सामना करना पड़ा. युद्ध की शुरुआत तब हुयी थी,जब पश्चिम पाकिस्तान की सेनाएं अपनी स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए बंगाली पूर्वी पाकिस्तान में गईं. उन्होंने 31 मार्च को भयानक हिंसा के खिलाफ बात की, लेकिन प्रतिरोध  जारी रहा और लाखों शरणार्थियों ने पड़ोसी देश भारत में प्रवेश करना शुरू कर दिया.

इन शरणार्थियों की देखभाल में भारत में संसाधनों का संकट होने लगा, इस कारण देश के भीतर भी तनाव काफी बढ गया. हालांकि भारत ने वहाँ के लिए संघर्षरत स्वतंत्रता सेनानियों का समर्थन कीया. स्थिति तब और भी जटिल हो गई, जब  अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चाहा, कि संयुक्त राज्य अमेरिका पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा  हो, जबकि इधर चीन पहले से पाकिस्तान को हथियार दे रहा था,  और भारत ने सोवियत संघ के साथ “शांति, दोस्ती और सहयोग की संधि” पर हस्ताक्षर किए थे.

पश्चिमी पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में आम-जन पर अत्यचार करने शुरू कर दिए, जिनमें हिन्दुओं को मुख्य रूप से लक्षित किया गया, नतीजतन, लगभग 10 मिलियन पूर्व पाकिस्तानी नागरिक देश से भाग गए और भारत में शरण मांगी. भारी संख्या में शरणार्थी होने की स्थिति ने इंदिरा गांधी को पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ आजामी लीग के स्वतंत्रता के संघर्ष को समर्थन देने के लिए प्रेरित किया.

भारत ने सैन्य सहायता प्रदान की और पश्चिम पाकिस्तान के खिलाफ लड़ने के लिए सैनिकों को भी भेजा. 3 दिसम्बर को पाकिस्तान ने जब भारत के बेस पर बमबारी की तब युद्ध शुरू हुआ, तब इंदिरा ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के महत्व को समझा,और वहाँ के स्वतंत्रता सेनानियों को शरण देने एवं बांग्लादेश के निर्माण को समर्थन देने की घोषणा की. 9 दिसम्बर को निक्सन ने यूएस के जलपोतों को भारत की तरफ रवाना करने का आदेश दिया, लेकिन 16 दिसम्बर को पाकिस्तान ने आत्म-समर्पण कर दिया.

अंतत:16 दिसंबर 1971 को ढाका में पश्चिमी पाकिस्तान बनाम पूर्वी पाकिस्तान का युद्ध समाप्त हुआ. पश्चिमी पाकिस्तानी सशस्त्र बल ने भारत के सामने आत्मसमर्पण के कागजों पर हस्ताक्षर किए, जिससे एक नए देश का जन्म हुआ, जिसका नाम बांग्लादेश रखा गया. पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में भारत की जीत ने इंदिरा गांधी की लोकप्रियता को एक चतुर राजनीतिक नेता के रूप में पहचान दिलाई. इस युद्ध में पाकिस्तान का घुटने टेकना ना केवल बांग्लादेश और भारत के लिए, बल्कि इंदिरा के लिए भी एक जीत थी. इस कारण ही युद्ध की समाप्ति के बाद इंदिरा ने घोषणा की कि मैं ऐसी इंसान नहीं हूँ, जो किसी भी दबाव में काम करे, फिर चाहे कोई व्यक्ति हो या कोई देश.

आपातकाल लागू (Imposition of Emergency)

सन 1971 के चुनाव में इंदिरा गाँधी को भारी सफलता मिली थी और उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में विकास के नए कार्यक्रम भी लागू करने की कोशिश की थी पर देश के अन्दर समस्याएं बढती जा रही थीं। महँगाई के कारण लोग परेशान थे। युद्ध के आर्थिक बोझ के कारण भी आर्थिक समस्यांए बढ़ गयी थीं। इसी बीच सूखा और अकाल ने स्थिति और बिगाड़ दी। उधर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में पेट्रोलियम बढती कीमतों से भारत में महँगाई बढ़ रही थी और देश का विदेशी मुद्रा भंडार पेट्रोलियम आयात करने के कारण तेजी से घटता जा रहा था। कुल मिलकर आर्थिक मंदी का दौर चल रहा था जिसमें उद्योग धंधे भी चौपट हो रहे थे। बेरोज़गारी भी काफ़ी बढ़ चुकी थी और सरकारी कर्मचारी महँगाई से त्रस्त होने के कारण वेतन-वृद्धि की माँग कर रहे थे। इन सब समस्याओं के बीच सरकार पर भ्रस्टाचार के आरोप भी लगने लगे।

सरकार इन सब परेशानियों से जूझ ही रही थी की इसी बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गाँधी के चुनाव से सम्बंधित एक मुक़दमे पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए उनका चुनाव रद्द कर दिया और उन्हें छह वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से भी प्रतिबंधित कर दिया। इंदिरा ने इस फैसले के ख़िलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की और न्यायालय ने 14 जुलाई का दिन तय किया पर विपक्ष को 14 जुलाई तक का भी इंतज़ार गवारा नहीं था। जय प्रकाश नारायण और समर्थित विपक्ष ने आंदोलन को उग्र रूप दे दिया। इन परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए 26 जून, 1975 को प्रातः देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई और जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई और अन्य हजारों छोटे-बड़े नेताओं को गिरफ़्तार करके जेल में डाल दिया गया।

सरकार ने अखबार, रेडियो और टी.वी. पर सेंसर लगा दिया। मौलिक अधिकार भी लगभग समाप्त हो गए थे।

इंदिरा ने जनवरी, 1977 में लोकसभा चुनाव कराए जाने की घोषणा की और इसके साथ ही राजनैतिक क़ैदियों की रिहाई हो गई। मीडिया की स्वतंत्रता फिर से बहाल हो गई और राजनीतिक सभाओं और चुनाव प्रचार की आज़ादी दे दी गई।

शायद इंदिरा गाँधी स्थिति का सही मूल्याकंन नहीं कर पायी थीं। अब जनता का समर्थन विपक्ष को मिलने लगा जिससे विपक्ष अधिक सशक्त होकर सामने आ गया। ‘जनता पार्टी’ के रूप में एकजुट विपक्ष और उसके सहयोगी दलों को 542 में से 330 सीटें प्राप्त हुईं जबकि इंदिरा गाँधी की कांग्रेस पार्टी मात्र 154 सीटें ही हासिल कर सकी।

इंदिरा गाँधी हत्या (Assassination of Indira Gandhi)

31 अक्टूबर  1984 को गांधी के बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बिंत सिंह ने सवर्ण मंदिर में हुए नरसंहार के बदले में कुल 31 बुलेट मारकर इंदिरा गांधी की हत्या कर दी. ये घटना सफदरगंज रोड नई दिल्ली में हुई थी.

इंदिरा गाँधी के अवार्ड्स (Indira Gandhi Biography In HindiAwards)

इंदिरा गांधी को 1971 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. 1972 में उन्हें बांग्लादेश को आज़ाद करवाने के लिए मेक्सिकन अवार्ड से नवाजा गया. फिर 1973 में सेकंड एनुअल मेडल एफएओ (2nd Annual Medal, FAO) और  1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा हिंदी में साहित्य वाचस्पति का अवार्ड दिया गया.

इंदिरा को 1953 में यूएसए में मदर्स अवार्ड भी दिया गया, इसके अलावा डिप्लोमेसी के साथ बेहतर कार्य करने के लिए  इसल्बेला डी’एस्टे अवार्ड ऑफ़ इटली (Islbella d’Este Award of Italy) मिला. उन्हें येल यूनिवर्सिटी के होलैंड मेमोरियल प्राइज से भी सम्मानित गया.

1967 और 1968 में फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के पोल (Poll) के अनुसार वो फ्रेंच लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली महिला राजनेता थी.

1971 में यूएसए के विशेष गेलप पोल सर्वे (Gallup Poll Survey ) के अनुसार वो दुनिया की सबसे ज्यादा सम्मानीय महिला थी. इसी वर्ष जानवरों की रक्षा के लिए अर्जेंटाइन सोसाइटी ने उन्हें डिप्लोमा ऑफ़ ऑनर से भी सम्मानित किया.

इंदिरा गाँधी का जीवन विश्व में भारत की महिला को एक सशक्त महिला के रूप में पहचान दिलाने वाला रहा हैं. हालांकि उनके व्यक्तित्व को दो पक्षों से समझा जाता रहा हैं और उनके समर्थकों के साथ ही विरोधियों की भी संख्या काफी हैं. उनके लिए गये कई राजनीतिक और सामाजिक फैसले भी अक्सर चर्चा का विषय बने रहते हैं लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत ने विकास के कई आयाम स्थापित किये थे,और उन्होंने विश्व पटल पर भारत की छवि को बदलकर रख दिया था.

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