Indira Gandhi Quotes In Hindi | Indira Gandhi Poems In Hindi

Indira Gandhi Quotes, Poems In Hindi

इंदिरा गांधी के विचार (Indira Gandhi Quotes in Hindi)

  • जब कभी भी आप एक कदम आगे बढ़ाते हैं, आप किसी न किसी को डिस्टर्ब करते हैं।
  • हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत में ताकत का प्रतीक एक महिला है – शक्ति की देवी।
  • क्रोध कभी बिना तर्क के नहीं होता, लेकिन कभी -कभार ही एक अच्छे तर्क के साथ।
  • मेरे पिता एक राजनीतिक व्यक्ति और संत थे लेकिन मैं केवल एक राजनैतिक औरत हूँ।
  • मेरे सभी खेल राजनीतिक खेल होते थे, मैं जोन ऑफ आर्क की तरह थी, मुझे हमेशा दांव पर लगा दिया जाता था।
  • एक देश की ताकत, अंततः इस बात में निहित है कि वो खुद क्या कर सकता है, इसमें नहीं कि वो औरों से क्या उधार ले सकता है।
  • अगर मैं एक हिंसक मौत मरती हूँ, जैसा की कुछ लोग डर रहे हैं और कुछ षड्यंत्र कर रहे हैं, मुझे पता है कि हिंसा हत्यारों के विचार और कर्म में होगी, मेरे मरने में नहीं।
  • शहादत कुछ ख़त्म नहीं करती, वो महज़ शुरआत है।
  • क्षमा वीरों का गुण है।
  • कुछ करने में पूर्वाग्रह है – चलिए अभी कुछ होते हुए देखते हैं। आप उस बड़ी योजना को छोटे -छोटे चरणों में बाँट सकते हैं और पहला कदम तुरंत ही उठा सकते हैं।
  • मेरे दादा जी ने एक बार मुझसे कहा था कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। पहले वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो श्रेय लेते हैं। उन्होंने मुझसे कहा था कि पहले समूह में रहने की कोशिश करो, वहां बहुत कम प्रतिस्पर्धा है।
  • यदि देश की सेवा करते हुए मेरी मृत्यु भी हो जाये तो मुझे इसका गर्व होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि मेरे खून का एक-एक कतरा राष्ट्र के विकास में योगदान और इसे सुदृढ़ और उर्जावान बनाएगा।
  • कभी भी किसी दीवार को तब तक ना गिराओ, जब तक कि आपको ये पता ना हो कि यह किस काम के लिए खड़ी की गई थी।
  • लोग अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं पर अधिकारों को याद रखते हैं।
  • प्रश्न कर पाने की क्षमता ही मानव प्रगति का आधार है।
  • भारत में कोई राजनेता इतना साहसी नहीं है कि वो लोगों को यह समझाने का प्रयास कर सके कि गायों को खाया जा सकता है।
  • आप बंद मुट्ठी से हाथ नहीं मिला सकते।
  • संतोष प्राप्ति में नहीं, बल्कि प्रयास में होता है। पूरा प्रयास पूर्ण विजय है।
  • साहस के बगैर आप कोई अच्छा काम नहीं कर सकते हैं। आप के पास अलग-अलग तरह के साहस होने चाहिए। पहला साहस तो बौद्धिकता का साहस है। आपको विभिन्न मूल्यों से छांटकर पता करना है कि कौन सा आपके लिए सही है जिसका आपको पालन करना चाहिए। आपको अपने रास्ते में आने वाली चीजों के खिलाफ खड़े होने का नैतिक साहस चाहिए।
  • उन मंत्रियों से सावधान रहना चाहिए जो बिना पैसों के कुछ नहीं कर सकते, और उनसे भी जो पैसे लेकर कुछ भी करने की इच्छा रखते हैं।
  • वहां प्रेम नहीं है जहां इच्छा नहीं है।
  • देशों के बीच की शांति, व्यक्तियों के बीच प्‍यार की ठोस बुनियाद पर टिकी होती है।
  • यह कभी मत भूलों कि जब हम चुप हैं, तो हम एक हैं और जब हम बात करते हैं तो हम दो हैं।
  • जिंदगी का उद्देश्य विश्वास करना, उम्मीद करना और चेष्टा करना है।
  • आपको आराम के समय क्रियाशील रहना चाहिए और आपको गतिविधि के समय स्थिर रहना सीख लेना चाहिए।
  •  मैं दुनिया को टुकड़ों में देखना पसंद नहीं करती हूं। हम एक दुनिया हैं।
  • प्रसन्नता दिमाग की एक अवस्था है। मेरा मानना है कि आप हमेशा खुश नहीं रह सकते हैं। कोई आदमी एक चीज को लेकर प्रसन्न हो सकता है लेकिन अन्य चीजों से नहीं।
  • जो अपने देश की सेवा करते हैं, उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
  • अपने आप को खोजने का सबसे अच्‍छा तरीका यह है कि आप अपने आप को दूसरों की सेवा और समर्पण में खो दें।

इंदिरा गांधी पर कविता

मैं इंदिरा पापा नेहरू

मैं पतंग पापा है डोर
पढ़ा लिखा चढ़ाया आकाश की ओर
खिली कली पकड़ आकाश की छोर
जागो, सुनो, कन्या भ्रूण हत्यारों
पापा सूरज की किरन का शोर
मैं बनू इंदिरा सी, पापा मेरे नेहरू बने
बेटियों के हत्यारों, अब तो पाप से तौबा करो
पापा सच्चे, बेहद अच्छे, नेहरू इंदिरा से वतन भरे
बेटियाँ आगे बेटों से, पापा आओ पाक ऐलान करे
देवियों के देश भारत की जग में ऊँची शान करे.

 

छीन-छीन देश की बहार ले गये,
कातिलों ने ‘इंदिरा’ के प्राण ले गये !
एकता का मंत्र हम उच्चारते रहे,
कायरों ने घर में गोली दाग कर गये !
छीन-छीन देश की बहार ले गये,
कातिलों ने ‘इंदिरा’ के प्राण ले गये !
‘भारती’ के भाल की, सदा जो शान थी,
बुजदिलो ने पोंछ पल में बेवा कर गये !
आन-बान-शान की दिव्य मनोहर मूरत को,
गद्दारों ने पल में उसे तोड़कर चले गये !
छीन-छीन देश की बहार ले गये,
कातिलों ने ‘इंदिरा’ के प्राण ले गये !
पूत तो सपूत बहु जाये इस भारती ने,
किन्तु कुछ कपूत यह नीच कर्म कर गये !
माँ के चरणों की पूजा के बदले में,
माँ की प्राणज्योति ही बुझा के चले गये !
छीन-छीन देश की बहार ले गये,
कातिलों ने ‘इंदिरा’ के प्राण ले गये !
देश को तरक्की के शिखर पर चढ़ा जिसने,
विश्व में ‘माँ भारती’ की शान को बढ़ाया था !
देश द्रोहियों ने सम्मान में उसे ही आज,
सीना छलनी कर जमीं पर लोटा गये !
छीन-छीन देश की बहार ले गये,
कातिलों ने ‘इंदिरा’ के प्राण ले गये !
‘इंदिरा’ की प्राणज्योति बुझी ना बुझेगी कभी,
वो तो लाखों प्राणज्योति बन कर के जल रही !
कायरों ने सोचा था, नामो निशां मिटा देंगे,
किन्तु वो तो ‘भारती’ के नाम ही से जुड़ गयी !!
छीन-छीन देश की बहार ले गये,
कातिलों ने ‘इंदिरा’ के प्राण ले गये !

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