Karim Lala Biography in Hindi | करीम लाला का जीवन परिचय

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आज के इस लेख के माध्यम से हम मुंबई के एक ऐसे अंडरवर्ल्ड के डॉन के बारे में बताने वाले हैं, जिससे दाऊद इब्राहिम जैसा खतरनाक गुनहगार भी डर जाता था। हम आपको करीम लाला के बारे में बतायेंगे जो कि मुंबई अंडरवर्ल्ड का सबसे खतरनाक माना जाने वाला डॉन था ।


करीम लाला का जीवन परिचय (Karim Lala Biography in Hindi)

पूरा नाम अब्दुल करीम शेर खान
जन्म तिथि  1911
जन्म स्थान कुनर प्रांत, अफगानिस्तानी अमीरात ( अफगानिस्तान)
माता का नाम ज्ञात नहीं
पिता का नाम ज्ञात नहीं
भारत में घर पायधुनी इलाका मुंबई
व्यवसाय तस्करी, नशीले पदार्थ, जबरन वसूली, अनुबंध हत्या, अवैध जुआ, संपत्ति से जबरन बेदखल करना इत्यादि
तमका अंडरवर्ल्ड डॉन
आमतौर पर लिया जाने वाला नाम


 
करीम लाला
गैंग का नाम पठान गैंग

करीम लाला का जन्म एवं परिवार (Karim Lala Birth and Family)

करीम लाला का जन्म कुनर प्रांत, अफगानिस्तान में सन् 1911 में हुआ था, करीम लाला का पूरा नाम अब्दुल करीम शेख खान था. कुनर से करीम लाला 1931 में भारत आया था उस समय उसकी उम्र करीब 21 वर्ष थी. करीम लाला का परिवार भी उनके साथ भारत आया और मुंबई के एक मुस्लिम इलाके में रहने लगा. करीम ने करीब 3-4 साल तक मुंबई में काम किया लेकिन उसके बाद पैसा कमाने के लालच ने उसे गुनाहों के दलदल में धकेल दिया.


करीम लाला का प्रारंभिक जीवन (Karim Lala Early Life)

करीम लाला अफगानिस्तान से भारत काम की तलाश में आया लेकिन यहाँ पर उसे कोई भी काम रास नही आता था. एक मैगजीन के अनुसार ज्यादा पैसा क्माने के चक्कर में वो अपराध की दुनिया में चला गया था. उसने सबसे पहले ग्रांट रोड स्टेशन के पास एक मकान किराए पर लिया और सोशल क्लब के नाम से एक जुए का अड्डा बनाया. देखते ही देखते यह जुए का अड्डा उसकी कमाई का हिस्सा बन गया और लाखों रूपए वह हर महीने इस अड्डे से कमाने लगा. इसी बिच उसके अड्डे पर उस समय के कुछ गुंडे-बदमाश भी आने लगे और उनसे अच्छी दोस्ती भी हो गई. करीम लाला के पास अब पैसों की कमी नहीं थी लेकिन उसे बहुत ज्यादा पैसे कमाने थे.


करीम लाला के अंडरवर्ल्ड डॉन बनने की कहानी

पैसा कमाने की जिद और लालच ने करीम लाला को गुनाह के दलदल धकेल दिया, करीम लाला एक व्यापारी से डॉन कसे बना यह पूरी कहानी जानने के लिए आप आगे तक हमारे साथ बने रहेl चालीस के दसक तक करीम लाला का जुए का व्यापार बहुत पैसे देने लगा था और शहर के नामी गुंडों से जान पहचान भी हो गयी थी! उसने अपना धंधा और नेटवर्क बढ़ाने के लिए कुछ लोगो को लेकर एक गैंग का निर्माण किया और उसका नाम रखा ‘पठान गैंग’ !

अब वह अपने गैंग की सहायता से शहर के अन्य इलाको जैसे डोंगरी, भिन्डी बाजार, मोहम्मद अली रोड के आलावा कई इलाको में दारू और जुएँ के अड्डो को खोला और उनसे कमाना शुरू कर दिया! लाला ने अपने लडको को लगाकर किराये के मकानों को खाली करवाने का काम शुरू किया और उन किरायेदारो से जबरदस्ती मकानो को खाली करवाता था जो खाली करने से मना कर देते थेl समय के साथ लाला का रौब बढ़ता गया और वह अपने साथ एक नक्काशी दार छड़ी  लेकर चलते थे जो उन्हें किसी उनके चाहने वाले ने भेंट की थी!


लाला के बारे में यह मशहूर था कि जब किसी पार्टी या समारोह में जाते थे और किसी वजह से उस जगह से कुछ समय के लिए जाना पड़े तो वह अपने छड़ी उसी जगह छोड़ देते थे, तो लोगो की क्या मजाल कि वह लाला के स्थान पर बैठे, यह था करीम लाला का रौबl

और इसी का फायदा उंके करीबी भी उठाते थे, अगर कोई किरायेदार मकान नहीं खली करता था तो लोग उसके घर के बाहर छड़ी रख देते थे और उस छड़ी के प्रभाव से लोग मकान खाली कर देते थेl क्योंकि कोई भी लाला की बात न मानकर मुसीबत मोल नहीं लेना चाहता था!

इसके आलावा उसने तस्करी के काम को और बढाया तथा सट्टा, शराब की तस्करी, अपहरण, जमीन पर कब्ज़ा, धन की उगाही, हफ्ता वसूली, सुपारी लेकर हत्या करना और नकली नोटों जैसे अवैध कारोबार के द्वारा अपने आप को मुंबई में डॉन के रूप में स्थापित किया!


गंगूबाई काठियावाड़ी और करीम लाला के सम्बन्ध

कहा जाता है कि करीम लाला हमेशा गरीब और असहाय लोगो की मदत किया करता था, हमेशा लोह न्याय के लिए लाला के पास जाया करते थे और लाला उन सबकी यथा संभव मदद भी करता थाl गंगूबाई का गुजरात के काठियावाड़ की रहने वाली थी जिसका वास्तविक नाम हरजीवनदास काठियावाड़ी था अपने प्यार के साथ भागकर सादी करके वह मुंबई आई लेकिन उसके पति ने धोके से उसे कोठे पर 500 रु. में बेच दिया!

गंगूबाई उस समय कमाठीपूरा रेड लाइट एरिया में काफी चर्चा का विषय थी तो पठान गैंग के एक आदमी की नियत गंगूबाई पर डोल गयी!


शौकत खान नाम का यह आदमी जो पठान गैंग से सम्बन्ध रखता था उसने गंगूबाई का दो बार रेप कर दिया, अपने लिए इंसाफ मांगने के लिए गंगूबाई करीम लाला के पास गयी! करीम लाला ने गंगूबाई की काफी मदत की और शौकत खान से उसकी रक्षा की तथा शौकत खान को दंड भी दियाl इसलिय गंगूबाई ने अपने रक्षक लाला को  राखी बांधकर अपना भाई बना लिया!

करीम लाला के संरक्षण ने गंगुबाई को एक लेडी डॉन बना दिया जिसने कोठे पर और असहाय बेसहारा औरतो की काफी मदद भी की!

करीम लाला के राजनैतिक संबंध (Karim Lala Political Connection)

करीम लाला की पहुँच इतनी थी की अगर वह हुंकार भी भरता तो पूरी भारतीय राजनीति हिल जाया करती थी. उसके अनेक बड़े नेताओं के साथ संबंध थे. उसके अनेक काम सीधे फोन पर ही हो जाया करते थे. कभी-कभी तो दो पार्टियों के निर्णयों को भी करीम लाला अपने एक फोन से बदल देता था. हालाँकि वह हमेशा कहता था की राजनीति से उसका कोई लेना देना नहीं लेकिन उसकी छाँव में अनेक नेता एंव नेत्रियाँ पनपती थी.


करीम लाला और इंदिरा गांधी (Karim Lala and Indira Gandhi)

करीम लाला और इंदिरा गांधी का भी आपस में कनेक्शन था. दरअसल ऐसी खबरें सामने आई थी कि भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी करीम लाला से मिलने मुंबई आया करती थी. हालही वे किस लिए उनसे मिलने आया करती थी इसकी जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन कहा जाता है कि वे उनसे राजनितिक मामले के संबंध में बात करने के लिए मिलने आया करती थी.

करीम लाला और दाऊद इब्राहिम (Karim Lala and Dawood Ibrahim)

कहते हैं की करीम लाला और दाऊद इब्राहिम की आपस में कभी नहीं बनी, एक समय ऐसा भी आया जब दाऊद  इब्राहीम और उसका भाई शब्बीर इब्राहिम करीम लाला के इलाके में तस्करी करने लगे थे और जब करीम लाला को इसका पता चला तो उसने दाऊद इब्राहिम की इतनी पिटाई करी की दाऊद एक साल तक गायब रहा. लेकिन बाद में दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या करीम ने 1981 में करवा दी थी. उसके बाद दाऊद ने करीम लाला के भाई रहीम खान की हत्या 1986 में करवा दी थी. दोनों में आपसी दुश्मनी शुरू हो चुकी थी. लेकिन करीम लाला कभी दाऊद से डरा नहीं और ना ही दाऊद ने कभी हार मानी दोनों ही हमेशा मौके की तलाश करते रहते थे. करीम ने अपने इलाके बदले और दाऊद ने करीम के कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया था.


करीम लाला और गंगुबाई (Karim Lala and Gangubai)

करीम लाला और गंगुबाई के की फिल्म आनेवाली है ‘गंगुबाई काठियावाड़ी इसमे आपको करीम लाला और गंगुबाई की कहानी देखने को मिलेगी । कहते हैं की करीम लाला अपना दरबार लगाया करते थे, इस दरबार में वह लोगों की मदद भी किया करते थे और अनेक मामले वहीं पर निपटा देते थे. एक समय गंगुबाई भी इस दरबार में आई क्योंकि गंगुबाई का रैप करीम लाला के आदमियों ने किया था. ऐसे में करीम लाला ने गंगुबाई को अपनी बहन बनाया और उससे माफ़ी मांगी. करीम लाला ने कमाठीपुरा की पूरी बागदौड़ गंगुबाई को दे दी थी. यही वजह है की गंगुबाई के पास करीम लाला की बहन होने के कारण अनेक पॉवर आ गई थी. आगे जाकर गनुगुबाई माफिया क्विन के नाम से भी जानी गई।


करीम लाला की मृत्यु

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि करीम लाला ने दाऊद इब्राहिम की बड़ी ही बेरहमी से लात और घूसों से पिटाई की थी। ऐसे में दाऊद इब्राहिम थोड़ा और ताकतवर होने के बाद करीम लाला से बदला लेने के लिए मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया में फिर से एक कदम रखा।

उधर हाजी मस्तान को यह लगता था कि करीब लाला को अपने गैंग में शामिल करने पर उसे काफी फायदा होगा, जिसके लिए उसने करीम लाला और उसके साथियों को अपने साथ मिला लिया। इसके बाद दाऊद इब्राहिम और करीम लाला के बीच बहुत ही भारी गैंगवार होने लगा। इस गैंगवार में दोनों गैंग के लगभग 10-12 लोग मारे गए। इसके बाद यह गैंगवार बंद हो गया क्योंकि करीम लाला अब बीमार रहने लगा। वर्ष 2002 में 19 फरवरी को करीम लाला लगभग 90 वर्ष की उम्र में मुंबई में ही स्वर्ग सिधार गया।

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