जन्माष्टमी का त्योहार हिन्दुओं के लिए बहुत ही उत्साह भरा पर्व है, जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, इनका जन्म देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में मथुरा में हुआ था.उन्होंने मथुरावासियों को निर्दयी कंस के शासन से मुक्ति दिलाई इतना ही नहीं महाभारत के युद्ध में पांडवों को जीत दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई थी ।
2022 मे जन्माष्टमी कब है ?
इस साल जन्माष्टमी गुरुवार 18 अगस्त को मनाया जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
18 अगस्त, रात 11:59 बजे से देर रात 12:44 बजे तक रहेगा।
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भगवान कृष्ण की पूजा कैसे करें ?
जन्माष्ठमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें और उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके व्रत का संकल्प लें। अब माता देवकी और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या फोटो को पालने में रखें। पूजा करते समय देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा देवताओं के नाम जपें। रात में 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। उनका अभिषेक पंचामृत से करें और उन्हें नए वस्त्र अर्पित करें। अब उन्हें झूला झुलाएं और पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री और धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं। अब आरती करें और प्रसाद भक्तजनों में वितरित करें।
कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है ? (Krishna Janmashtami Kyu Manayi Jati Hai In Hindi)
पौराणिक ग्रथों के अनुसार भगवान विष्णु ने इस धरती को पापियों के जुल्मों से मुक्त कराने के लिए भगवान श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिए था।
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श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है? (Krishna Janmashtami Kaise Manayi Jati Hai In Hindi)
जन्माष्टमी कई जगह अलग-अलग तरीक में मनाई जाती है। कई जगह इस दिन फूलों की होली भी खेली जाती है तथा साथ में रंगों की भी होली खेली जाती है। जन्माष्टमी के पर्व पर झाकियों के रूप में श्रीकृष्ण का मोहक अवतार देखने को मिलते है। मंदिरो को इस दिन काफी सहजता से सजाया जाता है। और कई लोग इस दिन व्रत भी रखते है। जन्माष्टमी के दिन मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को झूला झूलाया जाता है। जन्माष्टमी को मथुरा नगरी में बहुत ही हर्षोल्लास से मानाया जाता है। जोकि श्रीकृष्ण की जन्मनगरी है।
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कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है ? (Krishna Janmashtami Kab Manayi Jati Hai In Hindi)
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व (Krishna Janmashtami Ka Mahatwa In Hindi)
जन्माष्टमी का अपना महत्व है। भगवन विष्णु ने भगवत गीता नामक प्राचीन काल की एक पवित्र पुस्तक में कहा है की जब समाज में बुराई का प्रभाव बढ़ेगा और धर्म की गिरावट होगी तो मैं इस दुनिया में पुनर्जन्म दूंगा और बुराई को खत्म करने और अच्छाई का साथ देने के लिए भी पुनर्जन्म लूँगा
इस त्यौहार का मुख्य महत्व नेक नियत को प्रोत्साहित करने और बुरी इच्छा को हतोत्साहित करने में निहित हैं। एकता के लिए भी कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता हैं। यह पवित्र त्यौहार लोगों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देता है इसलिए जन्माष्टमी को एकता का प्रतीक माना जाता हैं।
दही हांडी का महत्व (Dahi Haandi Ka Mahatwa In Hindi)
श्रीकृष्ण को माखन दूध,दही काफी पसन्द था जिसकी वजह से पूरे गांव का माखन चोरी करके खा जाते थे। एक दिन उन्हें माखन चोरी करने से रोकने के लिए, उनकी मां यशोदा को उन्हें एक खंभे से बांधना पड़ा और इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण का नाम माखन चोर पड़ा।
वृन्दावन में महिलाओं ने मथे हुए माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया, जिससे की श्रीकृष्ण का हाथ वहां तक न पहुंच सके, लेकिन नटखट कृष्ण की समझदारी के आगे उनकी ये योजना भी व्यर्थ साबित हुई,माखन चुराने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर योजना बनाई और साथ मिलकर ऊंचाई में लटकाई मटकी से दही और माखन चुरा लिया वही से प्रेरित होकर दही हांडी शुरू हुआ ।
जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं। छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं। जो विजेता टीम मटकी फोड़ने में सफल हो जाती है वह इनाम का हकदार होती है।
FAQs:
जन्माष्टमी का पारण कितने बजे है?
व्रत पारण समय- 19 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट के बाद व्रत का पारण कर सकते हैं।
जन्माष्टमी का व्रत में क्या क्या खाया जाता है?
जन्माष्टमी के व्रत में पानी वाले फल खा सकते हैं। रसीले फलों के सेवन से आपके शरीर में पानी कमी नहीं होने पाती, जिस वजह से आपको डिहाइड्रेशन नहीं होता। जन्माष्टमी के व्रत में आप तरबूज ककड़ी और खरबूज जैसे अधिक पानी वाले फलों का सेवन करें तो आपको विशेष लाभ होगा। इसके अलावा आप केला, सेब और अमरूद भी खा सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत क्यों रखते हैं?
भविष्यपुराण का वचन है- श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को जो मनुष्य नहीं करता, वह क्रूर राक्षस होता है। केवल अष्टमी तिथि में ही उपवास करना कहा गया है।
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