नाटो (What is NATO) क्या है, पूरा नाम (Full Form), स्थापना कब हुई, सदस्य देश (Member Country List), मुख्यालय कहां है (Headquarters)
नाटो क्या है ? (What Is NATO)
नाटो (NATO) यानी उत्तर अटलांटिक संधि संगठन उत्तरी अमेरिका और यूरोप का एक साझा राजनैतिक और सैन्य संगठन है. यहा साल 1949 में बना था. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने इस संगठन का उस वक्त पहला और सबसे बड़ा मकसद था सोवियत संघ के बढ़ते दायरे को सीमित करना. इसके अलावा अमेरिका ने इसे यूरोप में राष्ट्रवादी विचारों को पनपने से रोकने के लिए भी इस्तेमाल किया. ताकि यूरोपीय महाद्वीप में राजनीतिक एकता कायम हो सके.
हालांकि नाटो की शुरुआत साल 1947 में फ्रांस और ब्रिटेन के बीच हुई डनकिर्क संधि से हुई थी. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की ओर से हमला होने की सूरत में मिलकर सामना करने के लिए ये संधि हुई थी. मूल रूप से ये संगठन साझा सुरक्षा की नीति पर काम करता है. इसका मकसद है कि अगर कोई बाहरी देश किसी नाटो सदस्य देश पर हमला करे तो बाकी सदस्य देश हमला झेल रहे देश की सैन्य और राजनीतिक तरीके से सुरक्षा करेंगे. साझा सुरक्षा के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात नाटो घोषणापत्र के अनुच्छेद पांच में लिखी है. जिसके मुताबिक,
उत्तरी अमेरिका या यूरोप के किसी एक या एक से ज्यादा सदस्यों पर हथियारों से हमला हो तो माना जाएगा कि सब पर हमला हुआ है. साथ ही अगर ऐसा हथियारबंद हमला होता है तो हर कोई संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के अनुच्छेद 51 के अनुसार, हमला झेल रहे पक्ष की अकेले या मिलकर और बाकी सदस्यों से मशविरा करके, जरूरी होने पर सैन्य तरीकों से उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा करने और कायम रखने के लिए कार्रवाई कर सकता है.”
नाटो का फुल फॉर्म (NATO Full Form In Hindi)
नाटो (NATO) का फुल फॉर्म North Atlantic Treaty Organisation (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) है। हिंदी में इसे उत्तर अटलांटिक संधि संगठन कहते हैं। इसमें शामिल देशों की संख्या 30 है।
नाटो का इतिहास एवं सदस्य देश (NATO History, Member Country List)
साल 1945 में जब द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हो गया था तो उस टाइम पर सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका महाशक्ति बन गए थे। इस वजह से यूरोप में संभावित खतरे की संभावना बढ़ गई थी जिसको देखते हुए ही फ्रांस, ब्रिटेन, नीदरलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग देशों ने एक संधि की। इस संधि को बूसेल्स की संधि कहते हैं। इसके अनुसार यह निश्चित किया गया कि किसी भी देश पर अगर हमला होता है तो यह सभी देश एक दूसरे को सामूहिक रूप से सैनिक सहायता प्रदान करेंगे। इसके अलावा यह भी निर्धारित किया गया कि सामाजिक आर्थिक तौर पर भी यह एक दूसरे का सहयोग करेंगे।
बाद में अमेरिका अपने आपको सबसे ज्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए सोवियत संघ की घेराबंदी करने लगा जिससे कि उसका प्रभाव खत्म किया जा सके। इसलिए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के तहत उत्तर अटलांटिक संधि के एक प्रस्ताव की पेशकश की। इस संधि के अंतर्गत 1949 को दुनिया के 12 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, बेल्जियम, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, फ्रांस, कनाडा, इटली और डेनमार्क जैसे देश शामिल थे। इसके अलावा शीत युद्ध से पहले स्पेन, पश्चिम जर्मनी, टर्की और यूनान ने भी इसकी सदस्यता ले ली थी। बाद में जब शीत युद्ध खत्म हो गया था तो तब हंगरी, पोलैंड और चेक गणराज्य भी इसमें शामिल हो गए थे। इस तरह से फिर 2004 में 7 और देशों ने इसकी सदस्यता ली और मौजूदा टाइम में इसके अब 30 सदस्य बन गए हैं।
नाटो का मुख्यालय (NATO Headquarter)
आपको बता दे कि जो नाटो का मुख्यालय यानी हेड क्वार्टर बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में स्थित है।
नाटो की स्थापना क्यों की गई ? (Why was NATO Established)
द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद सम्पूर्ण यूरोप की आर्थिक स्थिति में बहुत ही गिरावट देखी गयी जिससे वहां के नागरिकों का दैनिक जीवन निम्न स्तर का हो गया था | इसका लाभ उठाने के लिए सोवियत संघ ने ग्रीस और तुर्की पर अपना प्रभाव स्थापित करना चाहा वहां पर साम्यवाद की स्थापना करके विश्व के व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करना चाहता था |
यदि सोवियत संघ तुर्की को जीत लेता तो उसका नियंत्रण काला सागर पर हो जाता जिससे आस- पास के सभी देशों पर साम्यवाद की स्थापना करना आसान हो जाता है, इसके साथ ही सोवियत संघ ग्रीस पर भी अपना नियंत्रण करना चाहता था | जिससे वह भूमध्य सागर के रास्ते होने वाले व्यापार को प्रभावित कर सकता था | सोवियत संघ की इस विस्तार वादी सोच को अमेरिका ने अच्छी तरह से समझ लिया | उस समय अमेरिका के 33 वें राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन थे, जिन्होंने फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट के अकस्मात निधन के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे |