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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI एक बार फिर से चर्चा में है. इस बार वजह है एनआईए की छापेमारी. दरअसल, नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने दिल्ली समेत 11 राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की है. इस दौरान 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि NIA द्वारा किया गया ये ऑपरेशन अब तक सबसे बड़ा ऑपरेशन बताया जा रहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ये छापेमारी टेरर फंडिंग, ट्रेनिंग कैंप्स का आयोजन और लोगों को चरमपंथी बनाने में पीएफआई का हाथ होने के चलते की गई है. ऐसे में आइए जानते हैं कि PFI क्या है और इसका काम क्या है. क्यों इसको लेकर देश की सियासत लगातार गर्म होती जा रही है। ऐसा क्या है इसमें जिसको लेकर हर तरफ एक अलग बेचेनी हो रखी है।
पीएफआई क्या है और इसकी फुलफॉर्म [PFI Full Form]
पीएफआई का फुल फॉर्म पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है। ये एक इस्लामिक संगठन है। जिसका हमेशा से एक ही बात कहना होता है हक से आवाज उठाना। इसके जरिए लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया जाता है कि, आपको हमेशा अपने हक के लिए बोलना चाहिए। इससे आपकी आवाज बुलंद होगी। साल 2006 में भारत के दक्षिणी राज्य केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की नींव रखी गई. इस संगठन की जड़े केरल के कालीकट से जुड़ी हुई है। इसका मुख्यालय पहले कोझीकोड में था मगर बाद में इसे दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया.
नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के रूप में इसका जन्म हुआ. फिर इसमें कई अन्य मुस्लिमों संगठनों जैसे मनीथा नीति पसराय, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, राष्ट्रीय विकास मोर्चा और अन्यों का इसमें विलय हो गया. जिसके बाद इसे पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नाम से पहचाना गया.
एक मुस्लिम संगठन होने की वजह से इसकी ज्यादातर गतिविधियां मुस्लिम समुदायों के आसपास घूमती रहती है। जब भी मुस्लिम आरक्षण की बात होती है तो ये लोग हमेशा सड़कों पर आ जाते हैं।
PFI का काम क्या है?
स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर लगे बैन के बाद सामने आए पीएफआई ने खुद को एक ऐसे संगठन के रूप में पेश किया है जो अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ता है. इसने कर्नाटक में कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस की कथित जनविरोधी नीतियों को लेकर अक्सर ही इन पार्टियों को निशाना बनाया है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि मुख्यधारा की ये पार्टियां चुनावों के समय एक दूसरे पर मुसलमानों का समर्थन हासिल करने के लिए पीएफआई के साथ मिलने का आरोप एक-दूसरे पर लगाती हैं.
पीएफआई ने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा है. हालांकि, जिस तरह से हिंदू समुदाय के बीच आरएसएस, वीएचपी और हिंदू जागरण वेदिक जैसे दक्षिणपंथी समूहों द्वारा काम किया जाता है. ठीक उसी तरह से पीएफआई भी मुसलमानों के बीच सामाजिक और इस्लामी धार्मिक कार्यों को करता रहा है. पीएफआई अपने सदस्यों का रिकॉर्ड नहीं रखता है और यही वजह है कि इस संगठन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार करने के बाद भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अपराधों को रोकना कठिन हो जाता है.
पीएफआई का लीडर कौन है? [PFI Leader]
अखिल भारतीय अध्यक्ष ई. अबुबकर सिद्दीक पीएफआई के लीडर है । जिसका नाम आरएसएस नेता श्रीनिवास की हत्या के मामले से जोड़ा गया है। पुलिस का कहना है कि, श्रीनिवास की हत्या में पीएफआई का हाथ है।
क्या है पीएफआई का असल मकसद?
ये सगंठन खुद को नए सामाजिक आंदोलन के अगुवा के रूप में वर्णित करता है, जो लोगों को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. राष्ट्रीय महिला मोर्चा (NWF) और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) सहित संगठन की कई और शाखाएं हैं. संगठन का दावा है कि देश के 23 राज्यों में इसकी शाखाएं हैं.
मगर इसकी विचारधारा के इतर संगठन पर कई गंभीर आरोप भी लगे हैं. इसपर देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की दिशा में काम करने का आरोप है. संगठन के कुछ छिपे हुए खतरनाक एजेंडे होने का भी आरोप है जो देश के लिए नुकसानदेह हैं. हालांकि पीएफआई के नेता लगातार खुद पर लगे आरोपों को नकारते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं
मिशन 2047 का क्या मकसद है?
पीएफआई ने भारत में मिशन इस्लाम 2047 तैयार किया गया है। जिसके मुख्य कारण है मुस्लिम लोगों को इक्टठा करके भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना है। इसके लिए कई तरह की प्लानिंग भी की जा रही है। आपको बता दें कि, इसके लिए देश के अलग-अलग कौने से लोगों को चुना जाता है। उसके बाद उन्हें एक विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। उसके बाद वो इसके लिए काम करते हैं।
मिशन 2047 में किस तरह चलाई जाती है ट्रेनिंग
एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए फुलवारीशरीफ में कैंप लगाया गया था। इस ट्रेनिंग कैंप में लोगों को तलवार, चाकू चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसी के साथ उन्हें कई तरह के नारे भी खिखाए जाते है।
मिशन 2047 किन-किन राज्यों में फैला है?
मिशन 2047 के ट्रेनिंग कैंप बिहार, केरल, झारखंड, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में फैला हुआ है। उन्हेंन विद्वेष फैलाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
मिशन 2047 के ट्रेनिंग कैंप में क्या मिला
पुलिस ने जब यहां छापेमारी तो उसमें पीएफआई के झड़े, पंपलेट्स और भड़काऊ भाषणों की किताबें मिली है। जिसपर इसकी पूरी प्लानिंग की गई है उसका पेपर भी पुलिस को मिला है।
मिशन 2047 की फंडिंग कहां से होती है?
आपको बाता दें कि, इसके लिए तुर्की और पाकिस्तना से फंडिंग मिल रही है। अबतक इस फंडिंग के पैसे तीन अकाउंट में ट्रांसफर हए हैं। इसमें 83 लाख रूपये डाले गए हैं। पुलिस का कहना, ये परेशान करने वाली बात है। इसे अगर समय से पहले रोका नहीं गया तो काफी दिक्कते हो जाएगी।