राधा अष्टमी क्यों और कैसे मनाई जाती है? Radha Ashtami Kyu Aur Kaise Manayi Jati Hai In Hindi
Radha Ashtami 2021: राधा अष्टमी के दिन राधा जी की पूजा का विधान है लेकिन आप जानते हैं कि क्यों मनाई जाती है राधा अष्टमी। अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं। राधा अष्टमी के दिन राधा जी के साथ- साथ श्री कृष्ण की भी पूजा का विधान है।राधा अष्टमी का त्योहार रावल, बरसान, मथुरा और वृंदावन के साथ-साथ जम्मू कश्मीर में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है तो आइए जानते हैं क्यों मनाई जाती है राधा अष्टमी
राधा अष्टमी क्यों मनाई जाती है? (Radha Astami Kyu Manayi Jati Hai )
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी व्रत रखा जाता है। भगवान श्री कृष्ण के बिना राधा जी अधूरी हैं और राधा जी के बिना श्री कृष्ण जन्माष्टमी के लगभग 15 दिनों बाद ही राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत रखता है और राधा अष्टमी का व्रत नहीं रखता तो उसे जन्माष्टमी के भी फलों की प्राप्ति नहीं होती। इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा से राधा जी की आराधना करता है। उसे अपने जीवन में सभी प्रकार के सुख साधनों की प्राप्ति होती है और उसे अपने जीवन मे किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
राधा अष्टमी कैसे मनाई जाती है ? (Radha Astami Kaise Manayi Jati)
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। राधा अष्टमी के दिन राधा जी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया जाता है। श्री कृष्ण के जन्म की तरह ही राधा जी के जन्म के लिए भी प्रसूति ग्रह भी बनाया जाता है। राधा जी के जन्म के बाद उनका श्रृंगार किया जाता है। राधा अष्टमी के व्रत के दिन राधा जी की धातु की प्रतिमा का पूजन किया जाता है और पूजन के बाद उसे प्रतिमा को किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दिया जाता है। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति राधा अष्टमी का व्रत करता है। उसे राधा जी के दर्शन अवश्य प्राप्त होते हैं और उसे उनके जन्म का रहस्य भी पता चल जाता है। राधा जी के साश्रात् दर्शन से मनुष्य को मुक्ति मिल जाता है
राधा जी के जन्म को लेकर मान्यता (Radha Ji Ka Janam Ko Lakar Manyata)
पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण अपने धाम गोलोक में बैठे थे। वह किसी ध्यान में मग्न थें कि अचानक से उनके मन में एक लहर सी उठी। भगवान श्री कृष्ण की उस आनंद की लहर से एक बलिका प्रकट हुई। जो राधा कहलाई। इसी कारण से ही श्री कृष्ण का जाप करने से पहले राधा का नाम लेना आवश्यक है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो कृष्ण जाप का भी पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।
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