रक्षा बंधन कब है 2022? (Raksha Bandhan Kab Hai 2022)
वर्ष 2022 में रक्षाबंधन है11 अगस्त 2022,गुरुवार को.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan 2022 Muhurat Time)
शुभ मुहूर्त 11अगस्त की सुबह 6:15 बजे से रात 7:40 बजे तक तक.
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रक्षा बंधन त्योहार किस प्रकार मनाया जाता है? (Raksha Bandhan Kaise Manaya Jata Hai)
अगर असल मायने में इसे मनाना हैं तो इसमें से सबसे पहले लेन देन का व्यवहार खत्म करना चाहिये. साथ ही बहनों को अपने भाई को हर एक नारी की इज्जत करे, यह सीख देनी चाहिये. जरुरी हैं कि व्यवहारिक ज्ञान एवम परम्परा बढे तब ही समाज ऐसे गंदे अपराधो से दूर हो सकेगा.
कई जगह पर पत्नी अपने पति को राखी बांधती हैं. पति अपनी पत्नी को रक्षा का वचन देता हैं. सही मायने में यह त्यौहार नारी के प्रति रक्षा की भावना को बढ़ाने के लिए बनाया गया हैं. समाज में नारी की स्थिती बहुत गंभीर हैं क्यूंकि यह त्यौहार अपने मूल अस्तित्व से दूर हटता जा रहा हैं. जरुरत हैं इस त्यौहार के सही मायने को समझे एवम अपने आस पास के सभी लोगो को समझायें. अपने बच्चो को इस लेन देन से हटकर इस त्यौहार की परम्परा समझायें तब ही आगे जाकर यह त्यौहार अपने एतिहासिक मूल को प्राप्त कर सकेगा.
त्यौहारों के इस देश में रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का त्यौहार हैं जो सदियों से मनाया जा रहा हैं. इसमें बहन अपने भाई को राखी बाँधती हैं और भाई उसकी रक्षा का वचन देता हैं और बहन भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं. प्रेम और सौहाद्र का यह रिश्ता इस पवित्र बंधन को और भी अधिक मजबूत करता हैं.
रक्षा बंधन कैसे और कब शुरू हुआ था? (Raksha Bandhan Ki Shuruaat Kaise Huyi Thi)
1. इन्द्रदेव की कहानी
भविष्यत् पुराण के अनुसार दैत्यों और देवताओं के मध्य होने वाले एक युद्ध में भगवान इंद्र को एक असुर राजा, राजा बलि ने हरा दिया था. इस समय इंद्र की पत्नी सची ने भगवान विष्णु से मदद माँगी. भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया. इस वलय को भगवान विष्णु ने पवित्र वलय कहा. सची ने इस धागे को इंद्र की कलाई में बाँध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की कामना की. इसके बाद अगले युद्द में इंद्र बलि नामक असुर को हारने में सफ़ल हुए और पुनः अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया. यहाँ से इस पवित्र धागे का प्रचलन आरम्भ हुआ. इसके बाद युद्द में जाने के पहले अपने पति को औरतें यह धागा बांधती थीं. इस तरह यह त्योहार सिर्फ भाइयों बहनों तक ही सीमित नहीं रह गया.
2. सम्राट Alexander और सम्राट पुरु
राखी त्यौहार के सबसे पुरानी कहानी सन 300 BC में हुई थी. उस समय जब Alexander ने भारत जितने के लिए अपनी पूरी सेना के साथ यहाँ आया था. उस समय भारत में सम्राट पुरु का काफी बोलबाला था. जहाँ Alexander ने कभी किसी से भी नहीं हारा था उन्हें सम्राट पुरु के सेना से लढने में काफी दिक्कत हुई. जब Alexander की पत्नी को रक्षा बंधन के बारे में पता चला तब उन्होंने सम्राट पुरु के लिए एक राखी भेजी थी जिससे की वो Alexander को जान से न मार दें. वहीँ पुरु ने भी अपनी बहन का कहना माना और Alexander पर हमला नहीं किया था.
3. कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी थी। यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। भगवान ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था। उसी समय से राखी बांधने का क्रम शुरु हुआ। वहीं उन्होंने उनसे ये भी वादा किया की समय आने पर वो उनका जरुर से मदद करेंगे.
बहुत वर्षों बाद जब द्रौपदी को कुरु सभा में जुए के खेल में हारना पड़ा तब कौरवों के राजकुमार दुहसासन ने द्रौपदी का चिर हरण करने लगा. इसपर कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा करी थी और उनकी लाज बचायी थी.
4. यम और यमुना की कहानी
एक लोककथा के अनुसार मृत्यु के देवतायम ने करीब 12 वर्षों तक अपने बहन यमुना के पास नहीं गए, इसपर यमुना को काफी दुःख पहुंची.
बाद में गंगा माता के परामर्श पर यम जी ने अपने बहन के पास जाने का निश्चय किया. अपने भाई के आने से यमुना को काफी खुशी प्राप्त हुई और उन्होंने यम भाई का काफी ख्याल रखा.
इसपर यम काफी प्रसन्न हो गए और कहा की यमुना तुम्हे क्या चाहिए. जिसपर उन्होंने कहा की मुझे आपसे बार बार मिलना है. जिसपर यम ने उनकी इच्छा को पूर्ण भी कर दिया. इससे यमुना हमेशा के लिए अमर हो गयी.
रक्षा बंधन का इतिहास (Raksha Bandhan Ka Itihas)
रानी कर्णावती और हुमायूँ
एक अन्य ऐतिहासिक गाथा के अनुसार रानी कर्णावती और मुग़ल शासक हुमायूँ से सम्बंधित है. सन 1535 के आस पास की इस घटना में जब चित्तोड़ की रानी को यह लगने लगा कि उनका साम्राज्य गुजरात के सुलतान बहादुर शाह से नहीं बचाया जा सकता तो उन्होंने हुमायूँ, जो कि पहले चित्तोड़ का दुश्मन था, को राखी भेजी और एक बहन के नाते मदद माँगी. हालाँकि इस बात से कई बड़े इतिहासकार इत्तेफाक नहीं रखते, जबकि कुछ लोग पहले के हिन्दू मुस्लिम एकता की बात इस राखी वाली घटना के हवाले से करते हैं.
1905 का बंग भंग और रविन्द्रनाथ टैगोर
भारत में जिस समय अंग्रेज अपनी सत्ता जमाये रखने के लिए ‘डिवाइड एंड रूल’ की पालिसी अपना रहे थे, उस समय रविंद्रनाथ टैगोर ने लोगों में एकता के लिए रक्षाबंधन का पर्व मनाया. वर्ष 1905 में बंगाल की एकता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार बंगाल को विभाजित तथा हिन्दू और मुस्लिमों में सांप्रदायिक फूट डालने की कोशिश करती रही. इस समय बंगाल में और हिन्दू मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए और देश भर में एकता का सन्देश देने के लिए रविंद्रनाथ टैगोर ने रक्षा बंधन का पर्व मनाना शुरू किया.
सिखों का इतिहास
18 वीं शताब्दी के दौरान सिख खालसा आर्मी के अरविन्द सिंह ने राखी नामक एक प्रथा का अविर्भाव किया, जिसके अनुसार सिख किसान अपनी उपज का छोटा सा हिस्सा मुस्लिम आर्मी को देते थे और इसके एवज में मुस्लिम आर्मी उन पर आक्रमण नहीं करते थे.
महाराजा रणजीत सिंह, जिन्होंने सिख साम्राज्य की स्थापना की, की पत्नी महारानी जिन्दान ने नेपाल के राजा को एक बार राखी भेजी थी. नेपाल के राजा ने हालाँकि उनकी राखी स्वीकार ली किन्तु, नेपाल के हिन्दू राज्य को देने से इनकार कर दिया.
हमारे देश में राखी का क्या महत्व है?
राखी कौन से hand में बांधी जाती है?
राखी को हमेशा दायी कलाई पर ही बांधना चाहिए । रक्षासूत्र को दायीं कलाई पर बांधे जाने के पीछे भी कई कारण हैं। मान्यताओं के अनुसार भाई की दाहिनी कलाई पर ही बहन को राखी बांधना चाहिए। माना जाता है कि शरीर का दाहिना हिस्सा पवित्र होता है। इसलिए धार्मिक कार्यों में सभी काम सीधे हाथ से ही किए जाते हैं।
FAQs
रक्षाबंधन कहानी के लेखक कौन है?
हमारी राखी वह शीतल दवा है जो सारे घाव भर देती है यह कथन किसका है?
रक्षाबंधन का इतिहास कितने साल पुराना है ?
इसके पीछे कई कहानियाँ है, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि यह किस साल से शुरू हुआ था.
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