विश्व साक्षरता दिवस पर निबंध International Literacy Day Essay in Hindi
8 सितंबर को पूरी दुनिया विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाती है. सन 1966 में पहला विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया था और वर्ष 2009-2010 को संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक घोषित किया गया. तभी से लेकर आज तक पूरे विश्व में 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है.
Saksharta Diwas Par Nibandh
निरक्षरता को खत्म करने के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाने का विचार पहली बार ईरान के तेहरान में शिक्षा के मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौरान साल 1965 में 8 से 19 सितंबर को चर्चा की गई थी. 26 अक्टूबर, 1966 को यूनेस्को ने 14वें जरनल कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा, हर साल दुनिया भर में 8 सितंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा.
विश्व साक्षरता दिवस पर निबंध International Literacy Day Essay in Hindi
अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर वर्ष 8 सितम्बर को मनाया जाता है। विश्व संस्था यूनेस्को के द्वारा सन 1966 ई: में विश्वभर में निरक्षता को मिटाने के मकसद से यह अभियान शुरू किया गया। उस दिन यह संकल्प लिया गया के किसी भी देश में 1990 तक कोई भी निरक्षक नहीं रहेगा यह अभियान 1995 तक ऐसे देशों में चलाया गया जो इसमें पिछड़े हुए थे भारत का नाम भी इनमें आता है। यह दिवस विश्वभर में साक्षरता के लिए संदेश देता है। इसका उदेश्य लोगों तक ज्ञान पहुंचाना है क्योंकि निरक्षता अँधेरे के सामान है और साक्षरता प्रकाश के सामान अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए लोगों का साक्षरता होना बेहद जरूरी है क्योंकि एक अनपढ़ आदमी ख़ुद का भला नहीं सोच सकता तो भला वो राष्ट्र के विकास में क्या योगदान देगा। हमारे देश में शिक्षा को लेकर समय -समय पर कई अभियान चलाए जा रहे हैं जैसे सर्व शिक्षा अभियान , प्रौढ़ शिक्षा अभियान , मिड डे मील योजना और राजीव गांधी साक्षरता मिशन चलाए जा रहे हैं दिनभर दिन शिक्षा के लिए कड़े प्रयास किये जा रहे हैं। आज कल गाँव की छोरियां भी बड़े बड़े शहरों में पढ़ने जाने लगी हैं क्योंकि एक शिक्षित महिला पूरे परिवार को शिक्षित बना सकती है। शिक्षा के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वास से मुक्ति दिलाई जा सकती है शिक्षा के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपयों की योजनाएं चलाई जाती हैं लेकिन नतीजा ज्यादा अच्छा नहीं मिल पाता। शिक्षा और साक्षरता (Literacy) के नाम पर हमारे भारत में दो प्रकार के अभियान चलते हैं एक तो स्कूलों और विद्यालों में नियमित रूप से दी जाने वाली शिक्षा जिसे औपचारिक शिक्षा कहते हैं और दूसरी अनौपचारिक शिक्षा जिसके अंतर्गत उन लोगों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया जाता है जो स्कूलों और विद्यालों में जाकर शिक्षा हासिल नहीं कर पाते जिसे दो वर्गों में बांटा जाता है जिसमें 15 वर्ष से 35 वर्ष तक की उम्र में आने वालों को प्रौढ़ शिक्षा अभियान के कार्यक्रम में रखा जाता है जबकि 15 वर्ष से कम की उम्र में आने वाले लड़का -लड़की की शिक्षा को अनौपचारिक शिक्षा में रखा जाता है। इस वक्त प्रौढ़ निरक्षकों की संख्या 11 करोड़ से भी अधिक आंकी गयी है। आज़ादी हासिल करने के बाद हमारे देश में अनपढ़ों की संख्या बहुत अधिक थी किन्तु सरकार द्वारा किये गए शिक्षा सबंधी प्रयासों ने साक्षरता दर में काफी बढ़ोतरी की है आज भारत देश के हर नागरिक को शिक्षित करने की तरफ़ बढ़ रहा है। किन्तु आज भी इतने कड़े प्रयास के बाद देश के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो निरक्षता से लगातार जूझ रहे हैं यहां पर अधिक प्रयास करने की जरूरत है आज भी शिक्षा के आंकड़ों के मुताबिक भारत की साक्षरता दर बाकी देशों की तुलना में कम है इसका सीधा साधा सा कारण है भारत के शिक्षा सबंधी अभियान दुसरे देशों की तुलना में कम प्रभावशाली होना भारत में शिक्षा प्रणाली को लेकर अनेक अभियान चलाए जाते हैं किन्तु वह ज्यादा सफ़ल नहीं हो पाते इसमें सबसे ज्यादा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ता है खासतौर पर महिलाएं ग्रामीण महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने के मार्ग पर कई बाधायों का सामना करना पड़ता है और जो उन्हें आगे बढने से रोकती हैं साक्षरता (Saksharta) केवल किताबी ज्ञान हासिल करने तक सीमित नहीं है बल्कि साक्षरता का मुख्य उदेश्य लोगों में उन के अधिकारों के प्रति और उनके कर्तव्यों के प्रति उन्हें जागरूक करना है साक्षरता गरीबी , लिंग अनुपात सुधारने , भ्रष्टाचार और आतंकबाद को खत्म करने में समर्थ है आज भारत की साक्षरता दर में सुधार जरूर हुआ है किन्तु अभी भी यह अपने मकसद से कोसों दूर है। शिक्षा ही मनुष्य को मनुष्यता की तरफ़ ले जाती है किसी भी देश का सबसे बड़ा अभिशाप वहां के निवासियों की निरक्षता है मनुष्य और पशु में यदि कोई अंतर है तो वो है बुद्धि का संसार के किसी ना किसी हिस्से में निरक्षता रुपी अभिशाप आज भी जड़ों को खोकला कर रहा है। आज हमें जरूरत है प्राथमिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए क्योंकि जब पेड़ को जड़ से सींचा जाए तभी पेड़ फलेगा –फूलेगा नई युवा पीढ़ी को प्रेरित करने से ही साक्षरता के सही अर्थ को समझा जा सकता है।
World Literacy Day 2021 Theme In Hindi | विश्व साक्षरता दिवस 2021 का थीम क्या है?
विश्व साक्षरता दिवस 2021 की थीम
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2021 की थीम “मानव-केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता: डिजिटल विभाजन को कम करना” विषय पर है। बता दें कि कोरोना संकट काल में बच्चों, युवाओं और वयस्कों की शिक्षा बुरी तरह बाधित हुई है।
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